ज्जबा जुगनू सा
बुझ जातें हैं
उम्मीद के चिराग
जब मन हो उदास
बेशक मद्धिम ही सही
जीवंत रहें आस
जज्बा गर हो जुगनु सा
स्याह सी रातों में
बेखौफ टिमटिमाता
पूनम उजियारा सा
भूलें भटकें पथिक का
मार्गदर्शक बन
हवाओं के रुख से
बुझ जाती जब शमा
सुमन ओमानिया
--------------------------------------------