Suman Omania

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ज्जबा जुगनू सा

जज्बा जुगनू सा

बुझ जातें हैं
म्मीद के चिराग
जब मन हो उदास
बेशक मद्धिम ही सही
जीवंत रहें आस
जज्बा गर हो जुगनु सा
स्याह सी रातों में
बेखौफ टिमटिमाता
पूनम उजियारा सा
भूलें भटकें पथिक का
मार्गदर्शक बन

हवाओं के रुख से
बुझ जाती जब शमा

बेफ्रिकी के आलम में
वो तम से भिड़ जाता
दिकभ्रमित होती आँखे
कभी तेज प्रकाश से भी
अंधियारा जब मन को
खूब भरमाता
जुगनू का यही जोश
धीरे धीरे ही सही
अंधकार से खींच
प्रकाश की ओर
खींचकर ले आता

   सुमन ओमानिया

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